Sunday, July 24, 2011

बेनकाब हुआ चेहरा

कश्मीर समस्या के ‘तीसरे विकल्प’(यानी कश्मीर की ‘आजादी’) के पैरोकारों का एक प्रमुख चेहरा बेनकाब हो गया है।

ये वो चेहरा है, जिसने दशकों तक अमेरिका में कश्मीर को मानवाधिकार और वहां के लोगों के ‘आत्म-निर्णय’ के अधिकार की समस्या के रूप में पेश किया, इस मसले के ‘शांतिपूर्ण’ हल की वकालत के नाम पर अमेरिकी राजनेताओं के बीच लॉबिंग की और इसके पक्ष में माहौल बनाने के लिए सेमिनार, जन-सभाएं आदि आयोजित करता रहा।

उसकी इन गतिविधियों में कश्मीर के अलगाववादी नेता और देश के कई ‘मानवाधिकार’ कार्यकर्ता एवं मशहूर पत्रकार भाग लेते रहे, जिनके आने-जाने एवं अमेरिका में रहने का पूरा खर्च उसी गुलाम नबी फई की संस्था ‘कश्मीर अमेरिकन काउंसिल’ (केएसी) उठाती थी।

अब एफबीआई ने खुलासा किया है कि फई पाकिस्तान का एजेंट है, जिसे आईएसआई से पैसे मिलते थे। फई ने खुद को अमेरिका में विदेशी एजेंट के रूप में पंजीकृत करवाए बगैर लॉबिंग की, इसलिए एफबीआई ने उसे गिरफ्तार कर उस पर मुकदमा दर्ज किया है।

उसके साथ ही जहीर अहमद नाम के एक शख्स पर भी मुकदमा दर्ज हुआ है, जिस पर केएसी के लिए ऐसे फर्जी दानदाताओं की व्यवस्था करने का आरोप है, जिनकी आड़ में आईएसआई पैसा देती थी। साफ है, केएसी की सारी गतिविधियां पाक रणनीति का हिस्सा थीं।

इसे इस तरह भी समझ सकते हैं कि भारत से कश्मीर को अलग कर उसे हड़पना और उसकी ‘आजादी’ की वकालत- ये दोनों विकल्प पाकिस्तान की व्यापक रणनीति का हिस्सा हैं।

इस हकीकत से सिर्फ वे ही आंख मूंद सकते हैं, जिन्हें या तो आधुनिक-सर्वसमावेशी भारत की अवधारणा से किसी वजह से बैर है या जो इस क्षेत्र की भू-राजनीतिक स्थितियों से अनजान हैं। फई के प्रकरण ने साबित किया है कि कश्मीर की ‘आजादी’ की बात करने वाले लोग दरहकीकत किसके गुलाम हैं।
Source: भास्कर न्यूज
http://www.bhaskar.com/article/ABH-exposed-face-2282235.html

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