Sunday, July 17, 2011

शशांक शेखर कैसे बने यूपी के कैबिनेट सचिव

आइएएस अधिकारी न होने के बावजूद मायावती सरकार में कैबिनेट सचिव पद पर शशांक शेखर सिंह की नियुक्ति का विवाद सुप्रीम कोर्ट पहंुच गया है। शीर्ष अदालत ने पूछा है कि आखिर किस नियम के तहत शशांक शेखर को कैबिनेट सचिव बनाया गया? हालांकि यह कोर्ट की मौखिक टिप्पणियां थीं। याचिकाकर्ता की ओर से वकील के न होने के कारण कोर्ट ने सुनवाई शुक्रवार तक के लिए टाल दी। याचिकाकर्ता संदीप पांडेय की ओर से दाखिल याचिका में कहा गया है कि आइएएस व पीसीएस अधिकारी न होने के बावजूद शशांक शेखर को यूपी का कैबिनेट सचिव बनाया जाना नियम विरुद्ध है। शशांक शेखर की ओर से पेश वरिष्ठ वकील राकेश द्विवेदी ने कोर्ट को बताया कि राज्य मंत्रिमंडल को ऐसी नियुक्ति का अधिकार है। उन्होंने कोर्ट को यह भी बताया कि शशांक शेखर की इस नियुक्ति को लेकर ही इलाहाबाद हाइकोर्ट की लखनऊ पीठ में भी एक मामला लंबित है। इसी मामले में पूर्व में दायर दो याचिकाएं खारिज हो चुकी हैं। गौरतलब है कि राज्यों में प्रशासनिक दायित्वों की मुख्य जिम्मेदारी मुख्यसचिवों की होती है, लेकिन उत्तर प्रदेश में इस बार मायावती की सरकार बनने के बाद पहली बार किसी को कैबिनेट सचिव बनाया गया। शशांक शेखर की कैबिनेट सचिव के पद पर नियुक्ति के बाद से ही विवाद उठने लगा था। मुख्यमंत्री के इस कदम से नौकरशाही के भी एक हिस्से में नाराजगी रही है। शशांक शेखर को लेकर विवाद का यह नया मामला नहीं है, क्योंकि उन्हें सूबे में प्रमुख सचिव स्तर का पद दिए जाने को लेकर पहले भी विवाद उठ चुका है।

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