Friday, July 22, 2011

घोटाले की जड़

उत्तरप्रदेश में पहले एक चीफ मेडिकल ऑफिसर (सीएमओ) की हत्या और फिर उस हत्याकांड के आरोप में गिरफ्तार एक डिप्टी सीएमओ की हिरासत में संदिग्ध मौत (जो जांच के बाद हत्या बताई गई है) से फैली सनसनी ने उस बात से ध्यान हटा दिया, जो इस गड़बड़-घोटाले की जड़ है।

उप्र में राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन से जुड़े घोटाले की सामने आ रही सच्चाइयां अवाक कर देने वाली हैं। केंद्रीय अधिकारियों द्वारा राज्य में इस मिशन के अमल की समीक्षा के निष्कर्ष बताते हैं कि यह घोटाला कितना गहरा और व्यापक है।

देहाती इलाकों में आम लोगों की सेहत की देखभाल के लिए केंद्र से भेजे हजारों करोड़ रुपए अधिकारियों ने लूट लिए। करोड़ों रुपए के ठेके बिना टेंडर के दिए गए, एजेंसियों को अग्रिम भुगतान किया गया, खर्च न हुई रकम को वापस लेने की कोई कोशिश नहीं की गई, निगरानी व क्वालिटी कंट्रोल की कोई व्यवस्था नहीं की गई।

जब इसके सुराग खुलने लगे तो बात हत्या तक जा पहुंची। सवाल यह है कि क्या इतने बड़े घोटाले को बिना सियासी छत्रछाया के अंजाम दिया जा सकता है? इसीलिए यह अब बात अति-प्रासंगिक हो गई है कि उप्र के स्वास्थ्य घोटाले की सारी चर्चा को सीएमओ बीपी सिंह और डिप्टी सीएमओ वाईएस सचान की मौत तक ही सीमित न कर दिया जाए, बल्कि कानून के हाथ उन बड़े लोगों तक पहुंचें, जो इस घोटाले के लिए जिम्मेदार हैं।

इस जांच को तार्किक परिणति तक पहुंचाना इसलिए भी जरूरी है कि उप्र में जो हुआ, पूरी संभावना है कि यह सिर्फ वहीं की कहानी नहीं हो। अधिकार आधारित कल्याण कार्यो के इस युग में, जब लाखों करोड़ रुपए केंद्रीय योजनाओं के तहत राज्यों को भेजे जा रहे हैं, ऐसे भ्रष्टाचार के प्रति शून्य सहिष्णुता होनी चाहिए।

उप्र के स्वास्थ्य घोटाले में यह बात साबित की जानी चाहिए, ताकि उसका सही संदेश हर जगह पहुंच सके।

Source: भास्कर न्यूज
http://www.bhaskar.com/article/ABH-scam-of-the-root-2279455.html

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