Monday, July 18, 2011

हसन अली की दौलत का राज

हसन अली का केस दिन-ब-दिन और अजीबोगरीब होता जा रहा है। पुणो स्थित घोड़ों के फार्म के मालिक पर बकाया कर की दरें नियमित रूप से बढ़ती रहीं। हाल ही में बकाया राशि में दंड की राशि भी जोड़ दी गई और उसे एक लाख करोड़ रुपयों के राउंड फिगर में तब्दील कर दिया गया।

एक लाख करोड़ रुपयों का कर बकाया होने के बावजूद अभी तक यह नहीं पता चला है कि हसन अली के स्विस बैंक खाते में पैसा कहां से आया। इस दौरान अफवाहें जंगल की आग की तरह फैलती रहीं। कुछ लोग कहते रहे कि यह पैसा महाराष्ट्र के एक प्रभावशाली नेता का है, जो इन दिनों हर किसी के निशाने पर बने हुए हैं। कुछ अन्य कहते रहे कि पैसा तमिलनाडु के एक राजनेता का है, जो इन दिनों सत्ता से बेदखल हैं।

कुछ ने दबी जुबान से यह भी कहा कि वास्तव में पैसा आंध्रप्रदेश के एक राजनेता का है, जो अब इस दुनिया में नहीं हैं। जहां राम जेठमलानी अदालत में नाटकीय रूप से कह रहे हैं कि इसमें ऊपर तक के लोग शामिल हैं, वहीं आम राय यह है कि यह पैसा कई राजनेताओं और कारोबारियों का है और हसन अली उनके लिए महज एक बैंकर है।

इस फेहरिस्त में सऊदी के हथियार व्यापारी अदनान खाशोग्गी भी शामिल हैं, जिन्होंने एक बार शेखी बघारते हुए कहा था कि वे दुनिया के सबसे दौलतमंद शख्स हैं। लेकिन यह पैसा चाहे किसी का भी हो, इतना तो तय है कि वह व्यक्ति इतना ताकतवर है कि हसन अली हिरासत में होने के बावजूद मुंह पर ताला लगाए हुए है। कोई भी यह सुराग पाने में कामयाब नहीं हो पाया है कि इतना सारा पैसा आखिर आया कहां से।

लेकिन यह तो है कि टैक्स डिफॉल्टरों की सूची में हसन अली ने दिवंगत हर्षद मेहता को भी पछाड़ दिया है। एक लाख करोड़ रुपए कोई छोटी-मोटी रकम नहीं होती। खासतौर पर तब, जब उसकी बुनियाद में महज अटकलें और अनुमान हों। अभी तक न तो हसन अली और न ही उसकी दूसरी खूबसूरत बीवी रीमा के विरुद्ध कुछ साबित किया जा सका है।

जांच एजेंसियां अब इस उम्मीद में रीमा पर ध्यान केंद्रित कर रही हैं कि शायद वे उसके जरिये स्विस बैंक खातों के पीछे छिपे गहरे राजों को फाश कर सकेंगी। यहां तक कि पिछले माह सर्वोच्च अदालत ने भी प्रदेश सरकार से पूछा कि हसन अली के रहस्यपूर्ण लेन-देनों के बारे में अधिक जानकारियां हासिल करने के लिए पर्याप्त प्रयास क्यों नहीं किए जा सके। हिरासत में की गई पूछताछ का भी कोई फायदा नहीं हुआ। सबसे अहम सवाल अब भी अपनी जगह पर बरकरार है : क्या यह पैसा हसन अली का है? यदि हां, तो उसे आठ अरब डॉलर कहां से मिले और किसलिए? क्या यह भुगतान के रूप में चुकाई गई रकम है? यदि हां तो किसने इतनी बड़ी रकम चुकाई और क्यों?

दंड राशि और ब्याज को एक तरफ करने के बावजूद हसन अली पर वास्तविक टैक्स क्लेम 72 हजार करोड़ रुपयों का बताया जा रहा है। यह इतनी बड़ी रकम है कि इससे भारत के छह लाख गांवों को पेयजल मुहैया कराया जा सकता है। इसके बावजूद इस व्यक्ति और उसकी ‘फनी मनी’ के पीछे छिपे रहस्यों से पर्दा उठाने के प्रयास नहीं किए गए। यह ‘फनी मनी’ इसलिए है, क्योंकि अभी तक इस बात के कोई सबूत नहीं हैं, या अगर हैं तो कम से कम उन्हें सार्वजनिक नहीं किया गया है कि वास्तव में यह सारा पैसा हसन अली का ही है। यह पैसा किसी का भी हो सकता है। और शायद ऐसा है भी।

आयकर वाले दावा करते हैं कि अगर जरा भी और देर की गई तो मामले की समय सीमा समाप्त हो जाएगी। इसका यह मतलब है कि यह मामला उससे कहीं अधिक समय से चल रहा है, जितना कि हम जानते हैं। कर संबंधी मामलों की समय सीमा इतनी आसानी से समाप्त नहीं होती। इस स्थिति तक आने में वर्षो लग जाते हैं। तो संभव है कि किसी व्यक्ति ने या तो हसन अली या फिर उन लोगों को बचाने के लिए मामले में हस्तक्षेप किया है, जिनके पैसे की वह हिफाजत कर रहा था। अगर यह सच है कि पैसा किसी राजनेता का है तो इस देरी के राजनीतिक निहितार्थ भी हो सकते हैं।

वास्तव में अगर यह मामला अदालत तक न पहुंचा होता तो हसन अली अभी मजे से घूम रहा होता। निश्चित ही दाल में कहीं कुछ काला है। इसके बावजूद मैं उस व्यक्ति की बात पर भी भरोसा करता हूं, जो यह कहता है कि उसे जान का खतरा है। उसने देखा है कि किस तरह २जी मामले के मुख्य साक्षी सादिक बाचा की रहस्यपूर्ण स्थितियों में मौत हो गई। जिस डॉक्टर ने सादिक बाचा की पोस्टमार्टम रिपोर्ट में उसकी मृत्यु को आत्महत्या का मामला बताया था, वह अब एक चुनाव में उम्मीदवार है।

पोस्टमार्टम रिपोर्ट देने के अगले ही दिन उसने अपनी नौकरी से इस्तीफा दे दिया था। क्या यह महज एक संयोग है? हो सकता है। हसन अली का गुनाह चाहे जो हो, लेकिन उसकी जान उसी दिन से खतरे में है, जिस दिन उसने एक पत्रकार को एक छोटी-सी पर्ची पर यह लिखकर दिया था कि उसे वास्तविक तथ्यों के सामने आने से पहले ही खत्म किया जा सकता है। क्या इसका मतलब यह है कि वह कुछ कहना चाहता है, लेकिन उसे कहने नहीं दिया जा रहा है?

इससे पहले कि हम हसन अली के बारे में अपना फैसला सुनाएं, हमारा पहला जिम्मा यह होना चाहिए कि हम उसकी जान की हिफाजत करें। भारत में कई मामलों का इसीलिए समाधान नहीं हो पाता, क्योंकि केस के किसी मुख्य व्यक्ति को जांच के दौरान ही ठिकाने लगा दिया जाता है। अकाल मृत्यु की स्थिति सुविधाजनक होती है। जो लोग हकीकत जानते हैं, वे मुंह पर ताला लगाकर बैठ जाते हैं। कुछ समय बाद मीडिया भी नए मामले की तलाश में जुट जाता है।

कोशिश की जानी चाहिए कि इस मामले का यह अंजाम न हो। हसन अली बुरा व्यक्ति हो सकता है। यह भी संभव है कि उसके अच्छे कनेक्शन हों। लेकिन इसके बावजूद आठ अरब डॉलर हवा से नहीं आ सकते। यह तभी संभव है जब वह किसी ऐसे व्यक्ति की ढाल बनकर खड़ा हुआ हो, जिसके बारे में उसे विश्वास है कि वह या तो उसे बचा सकता है या यदि उसने सच्चाई बयां की तो उसे जान से भी मार सकता है।

लेखक वरिष्ठ पत्रकार और फिल्मकार हैं।
Pritish
Nandihttp://www.bhaskar.com/article/ABH-money-that-really-is-ali-hassan-2056792.html

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