Monday, July 18, 2011

जेल में मौज !

चौतरफा भ्रष्टाचार और घोटालों से फैले जनाक्रोश के बीच संतोष का एक पहलू यह जरूर है कि जनता का धन लूटने के आरोपी कई प्रभावशाली लोग जेल की हवा खा रहे हैं। इसे अपने राज्य-तंत्र में अवरोध एवं संतुलन की मजबूत होती व्यवस्था और जन-जागरूकता का परिणाम समझा जाता है। लेकिन इनमें से कई लोगों के जेल में भी मौज करने की खबर इस भरोसे पर एक चोट है।

जज बृजेश कुमार गर्ग जब तिहाड़ जेल के निरीक्षण के लिए गए तो देखा कि कॉमनवेल्थ गेम्स में घोटाले के आरोपी सुरेश कलमाडी जेल अधीक्षक के साथ बैठकर नाश्ता और चाय ले रहे हैं। उन्होंने यह भी देखा कि २जी स्पेक्ट्रम और नाल्को घोटालों के आरोपियों के कमरों का ताला खुला हुआ है।

कभी बिहार की जेलों में बाहुबली और रसूखदार आरोपियों को मोबाइल फोन एवं सुख-सुविधा की अन्य सामग्रियां उपलब्ध कराए जाने की खबरें अक्सर मिलती थीं। इसी तरह मुंबई में एक जमाने में अंडरवर्ल्ड डॉन्स के जेल से ही अपना कारोबार चलाने की चर्चा आम थी। यहां मुद्दा यह नहीं है कि जेल में कैदियों को कैसी सहूलियतें मिलें। भारतीय जेलों की हालत आमतौर पर दयनीय बताई जाती है।

अगर वहां अमानवीय स्थितियां हैं, तो उनमें सुधार एक नीतिगत प्रश्न है, जिसे राष्ट्रीय एजेंडे पर लाना मानवाधिकारों के नजरिए से जरूरी है। मगर यहां मुद्दा कुछ खास कैदियों से खास व्यवहार का है। पहले कहा जाता था कि भारत में जैसे एक गरीबी रेखा है, वैसे ही एक जेल रेखा भी है।

यानी एक खास स्तर से ऊपर की हैसियत वाले लोग जेल नहीं जाते। हाल के वर्षो में इस हकीकत में बदलाव दिखा है, लेकिन अगर जेल में ही एक विभाजन रेखा स्थापित हो गई, तो यह उपलब्धि बेकार चली जाएगी। इसीलिए ऐसी ‘कृपा’ दिखाने वाले अफसरों पर कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए, ताकि यह संदेश जाए कि आरोपियों और अपराधियों में फर्क करने वालों की खैर नहीं है।

Source: भास्कर न्यूज Last Updated 00:30(04/07/11)
http://www.bhaskar.com/article/ABH-fun-in-prison-2235381.html

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