Thursday, August 4, 2011

लोकतन्त्र के चौथे स्तम्भ का गहरे रहस्यों के अभेध्य किले को अभेध्य बनाये रखने में ही सहयोग

अपने आपको लोकतन्त्र के चौथे स्तम्भ का दम्भ भरने वाले मीडिया को इस देश की सत्तारूढ़ सबसे बड़ी पार्टी की रहस्यात्मक व्यक्तित्व श्रीमति सोनिया गान्धी ने औकात बता दी है.अभी अभी 04-08-2011 को लगभग दोपहर एक बजे कांग्रेस के नेता जनार्दन दिवेदी ने पत्रकारों को सम्बोधित किया कि डॉक्टरों ने सोनिया जी को एक शल्य चिकित्सा का परामर्श दिया जिसके लिए सोनिया जी देश से बाहर हैं और साथ में कहा कि " अभी अभी समाचार मिला है सोनिया जी का ऑपरेशन सफल रहा है और दो तीन सप्ताह विदेश में ही रहेंगी." सूचना देरी से तथा आधी अधूरी है.अभी भी यह नहीं बताया गया कि कौन सी शल्य चिकित्सा किस देश में किस अस्पताल में किस डॉक्टर के द्वारा की गयी और क्या इसको करवाना आपातकालीन था ? यहाँ पर मीडिया और साथ साथ इस देश की सत्तारूढ़ सबसे बड़ी पार्टी दोनों पर एक बहुत ही गम्भीर प्रश्न खड़ा होता है कि क्यों इस देश में केवलमात्र एक व्यक्तित्व को इस प्रकार से गहरे रहस्यों के अभेध्य किलों में रखा हुआ है ? क्या इस देश की आम आदमी की कही जाने वाली तथाकथित सरकार की उस आम आदमी के प्रति कोई भी जवाबदेही नहीं बनती कि जो सूचना अब दी जा रही है अगर सोनिया जी के देश से बाहर जाने से पहले दे दी जाती तो कौन सा सुरक्षा के लिए गम्भीर प्रश्न खड़ा हो जाता.सूचना का अधिकार का कानून देने वाली सरकार से उच्चतम राजनैतिक अधिकारयुक्त सार्वजनिक हस्ती के स्वास्थ्य के हर पहलू के बारे में जानने का अधिकार है.देश के सबसे बड़े संवैधानिक अधिकारयुक्त प्रधानमन्त्री श्री मनमोहन सिंह की कुछ समय पहले देश में ही स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान में हृदय सम्बन्धी शल्य चिकित्सा हुई थी उस समय तो इसप्रकार का तरीका नहीं अपनाया गया था.एक अन्य विषय भी इसीके साथ यह है कि इस लोकतान्त्रिक देश में सभी राजनैतिक दलों के प्रमुख समय समय पर पत्रकारवार्ता द्वारा देश की आम जनता से मुखातिब होते रहते हैं,कुछ दल प्रमुख तो प्रवक्ताओं की भूमिका स्वंय ज्यादा निभाते हुए नजर आते हैं.आजादी से लेकर आज तक इस दल के कई मुखिया रह चुके हैं लेकिन जिस प्रकार सोनिया जी के समयावधि में मीडिया से दूरी बनाकर रखी जा रही है वह किसी भी मापदण्ड पर एक अच्छा संकेत नहीं माना जा सकता है.देश में अपने आपको खोजी पत्रकारों की फ़ौज का मुखिया कहलाने वालों का सूचना तन्त्र शायद कोमा में चला गया होगा अन्यथा मानो सोनिया जी किसी गुप्त सुरंग के द्वारा देश से बाहर पहुँच गयी होंगी और किसी को कानों कान खबर भी नहीं हुई.आज तक इस समाचार जगत ने सोनिया जी के कितने साक्षात्कार लिए हैं या उन्हें देने के लिए बाध्य किया है ?यही प्रश्न इस देश के 'तथाकथित लोकतन्त्र ' में विश्वास रखने वाले प्रमुख दल से भी है.यह अलग विषय है कि इस दल विशेष में सांगठनिक रूप से किस स्तर तक आन्तरिक लोकतन्त्र कायम है ? मैं व्यक्तिगत रूप से इस समाचार जगत के महारथियों के कौशल पर प्रश्न खड़ा करता हूँ कि आपकी ऐसी कौन सी मजबूरियाँ हैं कि इस गहरे रहस्यों के अभेध्य किले को अभेध्य बनाये रखने में ही आपका परस्पर सहयोग कायम है.

प्रस्तुति:-राजेश तोशामिया ,भिवानी(हरियाणा) 9215923655


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