Monday, December 13, 2010

न्यायपालिका की शुचिता पर प्रश्नचिह्न्

देश में चल रहे विभिन्न महाभ्रष्टाचार के ताजे मामलों में से एक न्याय पालिका पर भी छींटे उड़ाता दिख रहा है। इलाहाबाद हाईकोर्ट पर सुप्रीम कोर्ट ने जो टिप्पणी की थी, उससे काफी बवाल हुआ था। अब केंद्रीय कानून मंत्री वीरप्पा मोइली ने भी शीर्ष न्यायालय का साथ देते हुए इलाहाबाद उच्च न्यायालय को ही आत्मनिरीक्षण की सलाह दी है।

उधर, सुप्रीम कोर्ट के ही एक जज ने विभिन्न राज्यों के प्रशासनिक आयोगों के सदस्यों पर भी उंगली उठाई है। उन्होंने आयोगों के सदस्य और अध्यक्ष, राजनेताओं यानी मुख्यमंत्री की जागीर बनने तक की कड़वी बात कहकर भ्रष्टाचार पर कड़ा प्रहार किया है। इलाहाबाद उच्च न्यायालय के मामले में न्यायाधीश मरकडेय काटजू (उच्च न्यायालय) ने साधारण आदमी का पक्ष लेते हुए कहा था कि इलाहाबाद उच्च न्यायालय की एकल पीठ के जज राकेश शर्मा ने जैसा न्याय दिया है, उसने आमजन का विश्वास डिगा दिया है।

मामला साधारण था। राजा खान नामक व्यक्ति ने वक्फ भूमि पर मेला आयोजित करने की अनुमति मांगी थी। उत्तरप्रदेश के बहराइच जिले की वह एक सामान्य घटना थी। दो बार इस मामले में लखनऊ खंडपीठ ने वहां मेला आयोजित करने की अनुमति देने से इनकार कर दिया था। याचिकाकर्ता राजा खान फिर इलाहाबाद हाईकोर्ट गए, जहां उन्हें ‘जो चाहिए था’ मिल गया। लेकिन जस्टिस शर्मा के निर्णय को बाद में एक युगल पीठ ने पलटा दिया, जिस पर याचिकाकर्ता उच्चतम न्यायालय गए। वहीं हुई जस्टिस काटजू की टिप्पणी से पूरे देश की आंखें खुलीं कि हमारे न्यायालयों में क्या कुछ हो रहा है। इलाहाबाद हाईकोर्ट देश के पुराने और बड़े उच्च न्यायालयों में से है और इसकी अपनी ख्याति हुआ करती थी। वहां अब भाई-भतीजावाद पनप रहा है और सब कुछ परत दर परत खुलकर आ रहा है।

केंद्रीय कानून मंत्री मोइली ने यदि इलाहाबाद उच्च न्यायालय को आत्म निरीक्षण करने की सलाह दी, तो वह ठीक ही है। यह ऐसा न्यायालय है, जहां 160 न्यायमूर्ति बैठते हैं। इनमें से कइयों के नजदीकी रिश्तेदार वहीं अधिवक्ता भी हैं। इससे मनचाहा ‘न्याय’ पाने की राह शायद आसान हो जाती है। देश की अन्य अदालतों में क्या कुछ हो रहा होगा, कहना मुश्किल है। पर भारत की न्याय व्यवस्था पर यह पूरा मामला बड़ा प्रश्नचिह्न् लगाता है। सभी न्यायाधीश निश्चित ही भ्रष्ट नहीं हैं, किंतु जिन पर जरा भी संदेह है, उन पर समय रहते अंकुश लगाना आवश्यक है।
Source: भास्कर न्यूज | Last Updated 00:09(13/12/10)

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