Tuesday, December 7, 2010

दोहरे आचरण का पुख्ता प्रमाण

विकिलीक्स पर जारी अमेरिका की अति गोपनीय सूचनाओं ने कूटनीतिक और राजनयिक दुनिया में संशय और दुविधा की स्थिति पैदा कर दी है। आज पूरी दुनिया अमेरिकी राजनयिकों के विचारों, सुझावों और उनकी नीतियों को विकिलीक्स की वेबसाइट पर देख और पढ़ रही है। गोपनीय रिपोर्ट के खुलासे के पहले ही दिन अमेरिकी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता पीजे क्राउलिंग ने बयान दिया कि राजनयिकों द्वारा जुटाई गई सूचनाएं हमारी नीतियों और कार्यक्रमों को अमलीजामा पहनाने में मददगार होती हैं और वास्तव में हमारे राजनयिक डिप्लोमैट हैं, न कि दूसरे देशों में खुफिया सूचनाएं इकट्ठा करने वाले जासूस। इससे अमेरिका की बेचैनी साफ समझी जा सकती है कि उसे इन रिपोर्टो के खुलासे से किस तरह की चिंता रही है। विकिलीक्स द्वारा करीब ढाई लाख सूचनाओं को सार्वजनिक किया गया है, इनमें तीन हजार से ज्यादा सूचनाएं दिल्ली से भेजी गई अमेरिकी राजनयिकों की हैं। इन रिपोर्टो में एक-एक करके बातें सामने आ रही हैं जिनमें अमेरिका की भारत और पाकिस्तान के प्रति और शेष दुनिया के प्रति वास्तविक नजरिए का भी पता चलता है। अब यह साफ है कि अमेरिका पाकिस्तान को खुश करने के लिए अफगानिस्तान में चल रही आतंकवाद की लड़ाई से भारत को अलग रखता रहा है। 26/11 की घटना के बाद अमेरिका की दोहरी नीति का भी खुलासा इस रिपोर्ट में किया गया है, जिससे पता चलता है कि अमेरिका आईएसआई और पाकिस्तान की चाहे जितनी आलोचना करता रहा है, लेकिन उसने मुंबई हमलों के बाद इन पर लगाम लगाने के लिए कोई बड़ा कदम नहीं उठाया। आम लोगों के लिए भले ही यह रिपोर्ट चौंकाने वाली है, लेकिन कूटनीतिक और राजनयिक गलियारों में यह सब जानकारी पहले से ही है। इसी तरह यदि कुछ लोग लोग यह सोचते हैं कि गोपनीय सूचनाओं के उजागर होने के बाद अमेरिका और दुनिया के कई देशों के रिश्ते आपस में खराब हो जाएंगे अथवा खलबली मच जाएगी तो ऐसा भी कुछ नहीं होने जा रहा, क्योंकि यह सब अंतरराष्ट्रीय कूटनीति और राजनीति में होता ही रहता है। विकिलीक्स से जो नई बात सामने आई है वह यह कि अमेरिका की नीतियों और दूसरे देशों के बारे में उसकी सोच का पहली बार सार्वजनिक तौर पर खुलासा हो गया। यह आश्चर्यजनक है कि अमेरिका की मजबूत खुफिया एजेंसियां इन सूचनाओं को गोपनीय बनाए रख पाने में विफल रहीं। जहां तक विश्व के विभिन्न देशों के राष्ट्राध्यक्षों के बारे में अमेरिकी राजनयिकों की अशिष्ट टिप्पणी का प्रश्न है तो यह उस मानसिकता का एक प्रमाण है जो अमेरिका की दुनिया पर थानेदारी और अपनी श्रेष्ठता की भावना की पुष्टि करता है। रिपोर्ट में रूस के पूर्व राष्ट्रपति और वर्तमान प्रधानमंत्री को अल्फा डॉग कहा गया है तो ईरान के राष्ट्रपति अहमदीनेजाद को हिटलर कहकर संबोधित किया गया है। इसी तरह फ्रांस, इटली, अफगानिस्तान के राष्ट्राध्यक्षों के बारे में भी अशिष्ट टिप्पणियां की गई हैं। वास्तव में यह राजनयिक शिष्टाचारों का हनन है, जिसकी एक राजनयिक से अपेक्षा तो की ही जा सकती है। यह दूसरे राष्ट्र की संप्रभुता और उसकी गरिमा का अपमान है। विकिलीक्स की मानें तो भारत ने 2004 में वाजपेयी सरकार के कार्यकाल में पाकिस्तान के प्रति कोल्ड स्टार्ट की नीति बनाई थी। इसके तहत भारत में मंुबई जैसे किसी आतंकवादी हमले की स्थिति में 72 घंटे के भीतर तत्काल कार्रवाई करते हुए भारतीय सेना पाकिस्तान के खिलाफ एक सीमित युद्ध छेड़ देती। हालांकि इस तरह की नीति से थल सेनाध्यक्ष जनरल वीके सिंह ने इनकार किया है, लेकिन सच्चाई यही है कि भारत अब पाकिस्तान से उकता गया है और जरूरत पड़ने पर इस तरह का कोई भी कदम उठा सकता है। दूसरा विवादास्पद खुलासा पाकिस्तान में अमेरिकी राजनयिक एनी पैटरसन का है कि यदि मुंबई हमले के बाद भारत पाकिस्तान पर हमला करता तो शुरुआती जीत के बावजूद अंतत: भारतीय सेना कमजोर पड़ती और यह युद्ध परमाणु युद्ध के रूप में तब्दील हो सकता था। इसी तरह पाकिस्तान में आतंकवादियों के हाथों डर्टी बम के आने का मामला भी है। खुलासों में अमेरिका की इस विरोधाभासी नीति का भी पता चलता है कि पाकिस्तान अमेरिका से मदद लेने के बावजूद उसे अभी तक मूर्ख ही बनाता रहा है। इसी तरह यूरोप में अमेरिका द्वारा 200 परमाणु बमों का जखीरा बनाने का मामला भी प्रकाश में आया है, प्रत्युत्तर में रूस के प्रधानमंत्री पुतिन ने कहा कि रूस भी परमाणु हथियार तैनात कर सकता है। कुल मिलाकर यह कहा जा सकता है कि विकिलीक्स रिपोर्ट ने अमेरिका की दोमुंही नीतियों के संदेह को एक पुख्ता आधार दे दिया है। अब हमें अपनी विदेश और रक्षा नीति में और अधिक व्यवहारिकता अपनाने की आवश्यकता है। हमें अमेरिका पर अधिक निर्भर होने की नीति पर भी विचार करने की जरूरत है, क्योंकि वह अपने राष्ट्रहितों और लाभ के अनुकूल ही दूसरे देशों से रिश्ता कायम करता है। (लेखक विदेशी मामलों के विशेषज्ञ हैं)
साभार:-दैनिक जागरण

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