Thursday, March 25, 2010

हुसैन पर हाय-तौबा

देवी-देवताओं की अश्लील पेंटिंगों को हुसैन की संकीर्ण सोच की उपज बता रहे हैं ए सूर्यप्रकाश
मकबूल फिदा हुसैन भारत में छद्म पंथनिरपेक्ष भीड़ के नायक रहे हैं। इसीलिए अंग्रेजी मीडिया का एक वर्ग उनके कतर देशांतर पर प्रलाप कर रहा है और हिंदुओं पर उनके पीछे पड़ने का आरोप मढ़ रहा है। कुछ टीवी एंकर हुसैन के भारत की नागरिकता छोड़ कर कतर की नागरिकता लेने पर चीत्कार मचा रहे हैं किंतु वे हुसैन की कलात्मक स्वच्छंदता की सच्चाई बताने के इच्छुक नहीं हैं। इसलिए अब समय है कि हुसैन के बारे में कुछ गरम पहलुओं से परदा उठाएं। श्रीमान हुसैन को भारत से भागने के लिए किसने मजबूर किया? एंटी हिंदूज पुस्तक के लेखक प्रफुल गोर्दिया और केआर पांडा कुछ महत्वपूर्ण सुराग और इस सवाल का विस्तार से उत्तर देते हैं। इस पुस्तक में न केवल संस्कार भारती के डीपी सिन्हा की प्रेस विज्ञप्ति प्रकाशित की गई है, बल्कि हुसैन की बेहद घिनौनी पेंटिगों की तस्वीरें भी छपी हैं। असलियत में, यह प्रेस विज्ञप्ति चित्रकार के खिलाफ विस्तृत आरोपपत्र ही है क्योंकि इसमें पेंटिंगों को एक से बढ़कर एक भौंडी और निंदनीय बताया गया हैं। यहां इस संगठन द्वारा आठ सर्वाधिक आपत्तिजनक पेंटिंगों की सूची जारी की गई है। पहली पेंटिंग का शीर्षक दुर्गा है, जिसमें दुर्गा देवी को एक टाइगर के साथ रति क्रिया रत दिखाया गया है। रेस्क्यूइंग सीता पेंटिंग में नग्न सीता को हनुमान की पूंछ पकड़े चित्रित किया गया है। हनुमान की पूंछ शालीनता की तमाम सीमाओं को लांघते हुए एक लैंगिग प्रतीक के रूप में प्रस्तुत की गई है। भगवान विष्णु को आम तौर पर चार हाथों के साथ चित्रित किया जाता है, जिनमें शंख, पद्म, गदा और चक्र होते हैं। किंतु हुसैन की पेंटिंग में विष्णु के हाथ काट दिए गए हैं। विकृत और थकेहारे विष्णु अपनी पत्नी लक्ष्मी और वाहन गरुड़ की ओर देख रहे हैं। भगवान विष्णु के हाथ-पैर काटना रचनात्मक स्वतंत्रता है या फिर हिंदू संवेदना का जानबूझ कर अपमान करना है? सरस्वती जिन्हें हिंदू एक देवी के रूप में पूजते हैं, श्वेत साड़ी में चित्रित की जाती हैं। इन्हें भी हुसैन ने अपनी पेंटिंग में नग्न दर्शाया है। एक अन्य पेंटिंग में नग्न देवी लक्ष्मी देव गणेश के सिर पर सवार हैं। इस दृश्य से भी कामुकता झलकती है। हनुमान-4 शीर्षक से एक पेंटिंग में तीन मुख वाले हनुमान और एक नग्न युगल चित्रित किया गया है। महिला की पहचान संदेह से परे है। हनुमान का जननांग महिला की ओर दिखाया गया है। इसमें अश्लीलता बिल्कुल स्पष्ट झलकती है। हनुमान-13 शीर्षक वाली पेंटिंग में बिल्कुल नग्न सीता नग्न रावण की जांघ पर बैठी हैं और नग्न हनुमान उन पर वार कर रहे हैं। एक अन्य पेंटिंग जार्ज वाशिंगटन एंड अर्जुन आन द चैरियट में महाभारत के प्रसिद्ध गीता प्रसंग की पृष्ठभूमि में भगवान कृष्ण का स्थान वाशिंगटन ने ले लिया है क्योंकि भगवान कृष्ण की आंखों में कोई देवत्व नहीं है और उनकी अवमानना करते हुए उन्हें महज एक मानव जार्ज वाशिंगटन के रूप में पेश किया गया है। क्या हुसैन का यह मूर्तिभंजन एकसमान है? ऐसा बिल्कुल नहीं है। बात जब गैर हिंदू विषयों की आती है तो हुसैन आदर और सम्मान के प्रतिमान स्थापित कर लेते हैं। वह पैगंबर मोहम्मद की बेटी फातिमा को पवित्रता और शिष्टता के साथ चित्रित किया है, जो कपड़े पहने हुए हैं। यहां चित्रकार कोई छूट नहीं लेता। वह तब भी कोई छूट नहीं लेता जब उनकी बेटी और माता का चित्रण करता है। हुसैन की मदर टैरेसा पेंटिंग कला का लाजवाब नमूना है, जिसमें मदर टैरेसा करुणा की प्रतिमूर्ति लगती हैं। अगर ऐसा है तो हुसैन ने हिंदू देवी-देवताओं को इस कदर घिनौने अंदाज में क्यों चित्रित किया? इसका जवाब एक और पेंटिंग में मिलता है। एक पेंटिंग में आइंस्टीन, गांधी, माओ और हिटलर चित्रित किए गए हैं, जिनमें से केवल हिटलर को नग्न दिखाया गया है। क्या हम यह निष्कर्ष निकाल सकते हैं कि जिन चरित्रों को हुसैन घिनौना मानते हैं उन्हें नग्न चित्रित करते हैं? इन निंदनीय कला कर्म को पुन‌र्प्रकाशित करने और संस्कार भारती की विस्तृत प्रेस विज्ञप्ति जारी करने वाले प्रफुल गोर्दिया और केआर पांडा एमएफ हुसैन को विकृत कामवासना से ग्रस्त व्यक्ति बताते हैं। इन पेंटिंग के फोटोग्राफ मौलिक रूप से एक ऐसी पुस्तक में प्रकाशित हुए थे, जिसे खुद हुसैन ने डिजाइन किया था। लेखकों ने सिन्हा द्वारा पेश किए गए आठ उदाहरणों में अपनी तरफ से भी तीन जोड़े हैं। इनमें एक पेंटिंग में सांड को पार्वती से सहवास करते दिखाया गया है, जबकि शंकर उनकी तरफ देख रहे हैं। दूसरी में हनुमान के जननांग को एक औरत की ओर दर्शाया गया है और एक पेंटिंग में नग्न कृष्ण के हाथ-पैर कटे हुए दिखाए गए हैं। लेखक नंग्नता, अश्लीलता और कामविकृति में भेद की तरफ ध्यान खींचते हैं। वे कहते हैं, जब अश्लीलता या कामविकृति के साथ देवी-देविताओं को चित्रित किया जाता है तो यह आस्था के साथ खिलवाड़ करने की श्रेणी में आता है। जैसाकि गोर्दिया और पांडा रेखांकित करते हैं, हुसैन को संदेह का लाभ देना बिल्कुल संभव नहीं है। आइंस्टीन, गांधी, माओ और हिटलर के चित्रण वाली पेंटिंग अकाट्स साक्ष्य है। पहले तीन के शरीर पर कपड़े हैं, जबकि हिटलर नग्न है। क्या इसका यह मतलब नहीं है कि जिनसे वह घृणा करते हैं, उन्हें नग्न चित्रित करते हैं? वे पूछते हैं, क्या हिंदू का सम्मान करने वाला कोई भी व्यक्ति हुसैन को माफ कर सकता है? इसका जवाब स्पष्ट तौर पर ना है। तो हुसैन की कला से प्रताडि़त किसी हिंदू को क्या करना चाहिए? कुछ ऐसे असभ्य लोगों को छोड़कर जिन्होंने कानून अपने हाथ में लेकर चित्रकार की कुछ पेंटिंग प्रदर्शनियों में तोड़फोड़ की, अधिकांश हिंदुओं की प्रतिक्रिया वही थी, जो एक लोकतंत्र में होनी चाहिए। उन्होंने अदालत की शरण ली और चित्रकार के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज कराए। उन्होंने कानून का सहारा लिया जो नागरिकों को अन्य नागरिकों की पंथिक संवेदनाओं पर आघात करने से रोकता है। उन्हें जान से मारने की धमकी नहीं दी गई और इस तरह के भद्दी घोषणाएं नहीं की गई जैसी उत्तर प्रदेश में एक मुसलमान ने डेनमार्क के काटूर्निस्ट का सिर कलम करने वाले को 51 करोड़ रुपए देने की पेशकश के रूप में की थी, जिसने पैगंबर मोहम्मद का कार्टून बनाया था। अगर आप कुछ टीवी एंकरों के हावभाव पर गौर करें तो इस ईश-निंदा के घटिया तरीके पर हिंदुओं की लोकतांत्रिक प्रतिक्रिया के लिए कोई सराहना नहीं की जानी चाहिए, बल्कि अदालत में खींचने के लिए इनकी भ‌र्त्सना की जानी चाहिए। हुसैन के मित्र और प्रशंसक जो भी कहें, सच्चाई यह है कि हिंदू भावनाओं के साथ इस प्रकार की घृणित खिलवाड़ के कारण वह कानूनी रूप से भगोड़ा घोषित हैं। जबसे उन पर मामले दर्ज किए गए हैं, वह फरार चल रहे हैं। बहुत से हिंदू जो हुसैन की इस घिनौनी कला से परिचित हैं, उन्हें कतरनाक पेंटर बताते हैं। इसलिए कहा जा रहा है कि उनके लिए कतर ही उनकी अंतिम मंजिल थी! किंतु अगर हम अपनी पंथनिरपेक्ष परंपरा को मान देते हैं तो हमें उन्हें बचकर भाग निकलने नहीं देना चाहिए। कानून की लंबी बांह को कतर तक जाना चाहिए। हमें उनका प्रत्यारोपण करके 80 करोड़ भावनाओं पर चोट पहुंचाने के लिए उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई करनी चाहिए।
saabhar:-dainik jagran
(लेखक वरिष्ठ स्तंभकार हैं)

1 comment:

SANSKRITJAGAT said...

DEAR SIR
YE BAAT MERE BHI MAN ME HAMESHA UBALTI RAHTI HAI
MAN KARTA HAI KI EK BAAR KO BAS MUJHE VO NAPUNSAK MIL JAAE TO USKI HATYA KE BADLE ME MUJHE APNE LIYE FAANSI BHI MANJOOR HOGI..

AAP IS AAG KO BUJHNE MAT DIJIYEGA..
KAM SE KAM MAI AAP KE SAATH HUN .. POORE DIL SE.

VANDE MAATRAM