Monday, September 1, 2008


मुझको मत मारो मैं भी तो तुम जैसी हूँ ,

अनुसूया-सावित्री बन मैं जग में आई,

लक्ष्मी-सीता बनकर मैं देवी कहलाई,

जोधा बनकर भारत का सम्मान बचाया,

मीरा बनकर भक्ति रस का पान कराया ,

देव-भूमि भारत में गंगा बन बहती हूँ,

मुझको मत मारो, मैं भी तो तुम जैसी हूँ


जब भारत में सत्ता का कोहराम मचा था,

'पन्ना' बन कर मैने ही इतिहास रचा था,

गौरों ने उत्पात किया जब इस भूमि पर,

'लक्ष्मी' बनकर दुष्टों का संहार किया था,

घर में माँ, रण में रणचंडी बन रहती हूँ ,

मुझको मत मारो, मैं भी तो तुम जैसी हूँ

महावीर,बुद्ध,सुकरात को शांति का पाठ पढाया ,

जवाहर और बापू को मैने गोद खिलाया,

भगत सिंह, आज़ाद, गुरु की मैं जननी हूँ,

तुलसी,सूर,कबीर की,वाणी और कथनी हूँ ,

सब कुछ देकर भी जग का मैं दुख सहती हूँ ,

मुझको मत मारो, मैं भी तो तुम जैसी हूँ

क्या खतरा है मुझसे, तुम मुझको बतला दो,

मुझे मारकर क्या मिल जाएगा बतला दो,

क्या अन्तर है बेटा-बेटी में समझा दो ,

क्या बेटी जग में नाम नहीं करती बतला दो ,

जैसा बेटा प्यारा लगता, मैं भी वैसी हूँ,

मुझको मत मारो, मैं भी तो तुम जैसी हूँ

मुझको भी खिल जाने दो अपने उपवन में,

क्या मिल मुझे मसलकर, सोचो मन में,

यदि तरस मुझ पर तुम नहीं खाओगे ,
याद
रखो आगे चलकर पछताओगे ,
'भ्रूण हत्या बन्द करो' , मैं सच कहती हूँ,

मुझको मत मारो, मैं भी तो तुम जैसी हूँ